Wednesday, April 1, 2015

.अजनबी दोस्त.



रात के अँधेरे में | धुंधलासा एक चेहरा |
आँखोंमें अजीब सी कशिश | होटों पे अधूरीसी हंसी |
अजनबी सा चेहरा | जाना पहचाना नाम |
मिलना है जरुरी कहते हुए | उसने हाथ बढ़ाया |
दो आँसू छलके| लम्हा थम सा गया |
आँसुओं की नमी रोकते मैंने कहा | कुछ पल रुक जाने दो |
अभी मत आ मेरे दोस्त | दो पल मुझे जीने दो |

कुछ इमली से खट्टे | कुछ कड़वी दवा से |
कुछ अदरक की प्यारी चाय से | कुछ खिलखिलाती हंसी से|
उन सारे पलों को |जी भर के देखने दो | 
अभी मत आ मेरे दोस्त | दो पल मुझे जीने दो |

मेरी परियोंकी मुस्कुराहटें | बचपन की छोटी छोटी बातें|
फूलों की भीनी महक सी | आज भी ताज़ा है मन में |
उन की सारी खूबियां | कानों में उन के कहने दो|
अभी मत आ मेरे दोस्त | दो पल मुझे जीने दो |

कुछ प्यारे रिश्ते रूठे से| ज़िन्दगी की रफ़्तार में छूटे |
मीठी यादों को जगाना है | रूठों को मनाना है |
बड़े प्यार से सींच कर हमें | सबकुछ हम पर निछावर किया |
बातों से उन्हें दुखाया| मन अंदर खूब रोया |
वह आँसू आज बह जाने दो | मन की बात होटों पर लाने दो |
अभी मत आ मेरे दोस्त | दो पल मुझे जीने दो |

ज़िन्दगी की भागदौड़ में | हमेशा उलझती ही गयी |
सब पलों को सब में | बाँटते चली रही |
कुछ पल अपने लिए|  जीना भूल गयी |
उन पलों को फिर से जीने दो | कुछ फूलों को अपने लिए चुन ने दो |
अभी मत आ मेरे दोस्त | दो पल मुझे जीने दो |

फिरसे इसी दुनिया में | नया जनम  लेके |
नयी पहचान लिए मैँ | नया अंदाज लेके |
लम्हों के तितलियों के रंग | नयी जिंदगी मैं पिघलने दो | 
गानों की प्यारी धुन | सुनहरी सुबह के साथ घुलने दो |
आ दोस्त, तुम्हारे साथ चल के | नयी ज़िन्दगी को अपनाने दो |
                                              
                                                      By Arundhati



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